राजनीतिक संवाददाता द्वारा
पटना: एक मई को करीब दोपहर 2 बजे पटना एयरपोर्ट पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के लैंड करने के बाद से बिहार के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गरम है। रविवार शाम को चर्चा शुरू हुई कि प्रशांत किशोर दोबारा नीतीश कुमार के साथ जुड़ने जा रहे हैं। हालांकि कुछ ही घंटो बाद यह खबर फुस्स हो गई। पटना के राजनीतिक गलियारों में सोमवार सुबह में खबरें उड़ी कि प्रशांत किशोर नई पॉलिटिकल पार्टी लॉन्च करने के लिए पटना आए हैं।
बिहार में 2025 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। वहीं 2024 में लोकसभा के लिए वोट डाले जाएंगे। ऐसे में प्रशांत किशोर शायद ही पॉलिटिकल पार्टी लॉन्च करने में जल्दबाजी दिखाएं। प्रशांत के अब तक के कॅरिअर पर नजर डालें तो पता चलता है कि वह कोई भी कदम पूरी तैयारी के साथ उठाते हैं। इसलिए अगर वह पॉलिटिकल पार्टी भी लॉन्च करेंगे तो इसके लिए बिहार की आम जनमानस की भावना को जरूर समझना चाहेंगे।
मुजफ्फरपुर के बोचहां में हुए उपचुनाव के बाद साफ हो गया कि उच्च जातियों खासकर भूमिहार समाज बीजेपी से नाराज है। फिलहाल भूमिहार समाज के कुछ स्थानीय नेताओं का झुकाव आरजेडी की तरफ दिख रहा है। ऐसे में प्रशांत थोड़ा समय लेकर समझने की कोशिश करेंगे कैसे इस समाज के लोगों को अपने पक्ष में किया जाए।
पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह राजपूत जाति से आते थे, लेकिन ओबीसी समाज के बीच में वह अपने दौर के सबसे बड़े नेता रहे। वीपी सिंह ने अपने तरह की राजनीति की, जिसमें उन्हें भले ही अपनी ही जाति के लोगों का विरोध झेलना पड़ा, लेकिन उत्तर भारत के ओबीसी समाज का अपार जनसमर्थन मिलने से खूब राजनीतिक फायदा हुआ। इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी के साथ सहानुभूति का अपार समर्थन हासिल था। ऐसे में वीपी सिंह ने 80 के दशक के अंतिम वर्षों में जनमोर्चा बनाकर देशभर का दौरा किया था। इस दौरे के जरिए वीपी सिंह को देश की नब्ज समझने और असंतुष्ट कांग्रेसियों को साथ लाने में सफलता मिली। 1989 के लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी की हार हुई और वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने थे।
ठीक इसी तर्ज पर प्रशांत किशोर बिहार के हर समाज में नीतीश कुमार और उनके सहयोगियों से नाराज लोगों को एकत्र करने की कोशिश करेंगे। प्रशांत भली-भांति जानते हैं कि नीतीश कुमार जैसे कद्दावर नेता के सामने राजनीतिक रूप से उठने के लिए मजबूत जनसमर्थन का इंतजाम होना जरूरी है। दूसरी तरफ लालू यादव की पार्टी आरजेडी भी जमीन स्तर पर ही काम करती है।
दो साल पहले जेडीयू से निकाले जाने के बाद भी प्रशांत किशोर ने पटना में तामझाम के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और दावा किया था कि वह बिहार में युवाओं की एक बड़ी फौज तैयार करेंगे जो सियासी तौर पर सूबे की किस्मत बदलेगी। कार्यक्रम का नाम रखा गया था ‘बात बिहार की’। यह भी एक जन संवाद का ही कार्यक्रम था। हालांकि पश्चिम बंगाल और दिल्ली विधानसभा चुनाव में रणनीतिकार की जिम्मेदारी मिलने के बाद प्रशांत ने इस कार्यक्रम को शुरू नहीं किया था। इन सारी बातों को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रशांत किशोर तत्काल कोई राजनीतिक दल नहीं लॉन्च करेंगे। इसके लिए वह वक्त लेंगे। राजनीतिक दल लॉन्च करने से पहले प्रशांत पूरे बिहार में घूमकर राजनीतिक ताकत थाहने की कोशिश करेंगे।